*60 के दशक में डकैत मोहर सिंह ने चंबल घाटी को खून से कर दिया लाल,550 केस, 400 हत्या, 650 अपहरण,मोहर के नाम से कांपती थी पुलिस,पत्नी-बेटी को दी थी मौत*
By Ajab, 11:12:53 PM | January 24
*60 के दशक में डकैत मोहर सिंह ने चंबल घाटी को खून से कर दिया लाल,550 केस, 400 हत्या, 650 अपहरण,मोहर के नाम से कांपती थी पुलिस,पत्नी-बेटी को दी थी मौत*
नई दिल्ली।चंबल का इलाका डकैतों के लिए जाना जाता है।चंबल घाटी से कई ऐसे डकैत निकले,जो खाकी और लोगों के नाक में दम कर दिया था,लेकिन कुछ डकैत ऐसे भी थे, जो कानून की नजर से बड़े अपराधी थे,लेकिन स्थानीय लोगों के लिए भगवान से कम नहीं थे।खाकी इन डकैतों के नाम से कांपती थी,लेकिन ग्रामीण उन्हें सिर-आंखों पर बैठाते थे।ऐसा ही एक नाम था डकैत मोहर सिंह।मोहर सिंह के नाम का खौफ इतना था कि खाकी के साथ-साथ इलाके के अपराधी भी उससे खौफ खाते थे।
*जानें कौन थे डकैत मोहर सिंह*
चंबल घाटी के लिए मोहर सिंह का नाम किसी खौफ से कम नहीं था।कुछ लोग मोहर सिंह को रॉबिनहुड मानते थे।आखिर मोहर सिंह डकैत कैसे बने।आइए आपको बताते हैं।
बताया जाता है कि मोहर सिंह कभी डकैत नहीं बनना चाहते थे,लेकिन एक जमीन से जुड़े मामले में मोहर सिंह दर-दर की ठोकरें खाते रहे।अफसरो और खाकी से न्याय के लिए गुहार लगाते रहे,लेकिन न्याय नहीं मिला।सिस्टम से नाराज होकर मोहर सिंह ने साल 1960 में बंदूक उठा ली और बीहड़ में कूद पड़े।कुछ ही महीनों में मोहर सिंह का नाम चंबल घाटी में गूंजने लगा।हर तरफ मोहर सिंह के नाम का खौफ था।
हाल ये था कि इलाके के खाकीधारी भी उनके नाम से थर्रा जाते थे।उस समय ये कहावत मशहूर थी।जब कोई बच्चा रोता था तब उसकी मां कहती थी, सो जाओ नहीं तो मोहर सिंह आ जाएगा। उस डर और खौफ को शोले फिल्म में गब्बर के नाम से दर्शाया गया।डकैत मोहर सिंह ने 12 साल तक बीहड़ में शान से राज किया। मोहर सिंह ने साल 1972 में सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।उस समय मोहर सिंह के गैंग पर 12 लाख रुपए का इनाम था।अकेले मोहर सिंह पर दो लाख रुपए का इनाम था।
*मुकदमे, आरोप और सजा*
बीहड़़ में डकैत मोहर सिंह ने कई वर्षो तक शान से राज किया। मोहर सिंह के खिलाफ पांच सौ पचास मुकदमे दर्ज थे। 400 लोगों की हत्या का आरोप था। 650 अपहरण करने का भी आरोप था। मोहर सिंह को कभी अपने किए पर कोई पछतावा नहीं था।अपने किए गुनाहों की सजा मोहर सिंह को 8 साल कारावास के रूप में मिली। आत्मसमर्पण करने के बाद मोहर सिंह मंदिर में काफी वक्त बिताते थे।भजन-कीर्तन करते थे। गांव में कोई भी आयोजन हो, मोहर सिंह वहां जरूर जाते थे. और तो और 1982 में एक बॉलीवुड फिल्म चंबल के डाकू में मोहर सिंह ने अभिनय भी किया था। मोहर सिंह ने कभी औरतों के साथ बदसलूकी न करने की कसम खुद भी खाई थी और अपने गैंग को भी दिलाई थी।साथ ही खुले आम जेल में मुर्गा और मटन खाने, अदालत में जज के फांसी की सज़ा सुनाने पर जज को टका सा जवाब दे देने, जेल में एक पुलिस अधिकारी को पीटने और पुलिस अधिकारियों को जेल परिसर में भी चुनौती देने जैसे कई किस्से खुद मोहर सिंह के हवाले से सुनाए जाते थे, जो उनकी दिलेरी और शेखी का बयान भी करते थे।
*खुद किया था पत्नी और बेटी का कत्ल*
मोहर सिंह के गुनाहों की एक लंबी कहानी है,लेकिन एक मामला ऐसा था जो लोगों को हैरान करता रहा।यह मामला था मोहर सिंह की पत्नी और बेटी के कत्ल का।जिसे खुद मोहर सिंह ने अंजाम दिया था।बताया जाता है कि साल 2006 में मोहर सिंह को अपहरण के एक मामले में जेल हो गई थी, लेकिन जब वह जून 2012 में सजा काटकर वापस आए तो अपनी पत्नी और 15 साल की बेटी को मारकर उनकी लाशें सिंध नदी में बहा दी थी।कत्ल की वजह का खुलासा करते हुए मोहर सिंह ने पुलिस को बताया था कि उसे अपनी पत्नी और बेटी के चरित्र पर शक था।पूछताछ में मोहर सिंह ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था।पुलिस ने सिंध नदी में उसकी पत्नी और बेटी का लाश तलाश करने की कोशिश की थी, लेकिन वहां कुछ नहीं मिला था।
*समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण*
आत्मसमर्पण करने के बाद मोहर सिंह की जिंदगी पूरी तरह बदल गई थी। मोहर सिंह सामाजिक कार्यों में जी जान जुट गए थे।गरीब लड़कियों की शादी कराना, जरूरतमंदों की मदद करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया था। मोहर सिंह गांव में अपने परिवार के साथ खेती-बाड़ी का काम करते थे।मोहर सिंह ने जमीन बचाने के लिए अभियान चलाया था। हरियाली को खूब बढ़ावा दिया।मकसद था कि खेती की जमीन को बचाया जाए। पेड़-पौधे ज्यादा से ज्यादा लगाए जाएं।आखरी दम तक वो लोगों के काम आते रहे। मध्य प्रदेश के भिंड जिले के मेहगांव शहर में मंगलवार सुबह 5 मई 2020 को 92 वर्षीय मोहर सिंह का निधन हो गया।मोहर सिंह के दो बेटे और एक बेटी है।