उपभोक्ताओं के आंकड़ों के मंत्रालय के अनुसार, इस साल, गेहूं की कीमतों में अब तक 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2015 रुपये प्रति क्विंटल है। इसी तरह, नागरिक आय विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 7 मई को, देश भर में गेहूं के आटे की खुदरा कीमत 32.78 रुपये प्रति किलोग्राम थी। जो जनवरी 2010 के बाद से सबसे अधिक है। सरकार ने स्वयं इन आंकड़ों को जारी किया है। पिछले वर्ष के सामानों की अवधि के दौरान गेहूं की कीमत 30.03 प्रति किलोग्राम है। गौरतलब है कि इस वर्ष की शुरुआत से ही पूरे देश में आटे की कीमत लगातार बढ़ी है। जनवरी के बाद से कीमत में 5.81 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
देश में लगातार महंगाई बढ़ने से आम आदमी की थाली पर काफी असर पड़ रहा है. खाद्य सामाग्री की रेट में काफी इजाफा हुआ है. तेल से लेकर आलू तक के रेट आसमान छू रहे हैं. अब गेहूं की कीमतों में इजाफा होने से आटे का दाम पिछले 12 साल में सबसे महंगा हो गया है. ऐसे में आम आदमी का रोटी खाना भी मुहाल हो गया है.
विशेषज्ञों के अनुसार रूसी और यूक्रेन युद्ध के कारण गेहूं उत्पादन में गिरावट आई है। क्योंकि आटे की कीमत तेजी से इजाफा हुआ है. वहीं युद्ध की वजह से कई देशों की आपूर्ति बंद है. जिसकी वजह से विदेशी बाजारों में भारतीय गेहूं की डिमांड ज्यादा है. इसके आलावा डीजल के महंगे होने से ट्रांसपोर्ट पर भी काफी असर पड़ा है. यह भी एक वजह है, जिससे आटे की कीमत में तेजी से उछाल देखने को मिला है.