कालानमक धान के बारे में कहा जाता है कि जिसमें विटामिन ए भी मिला है। रीजनल फ़ूड रिसर्च एंड एनालिसिस सेंटर लखनऊ की तरफ से किए गए अनुसंधान में यह जानकारी मिली है। यह अनुसंधान कालानमक के संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में लंबे समय से काम कर रही संस्था पीआरडीएफ की पहल पर किया गया। 26 नवंबर 2021 को संस्था ने जो रिपोर्ट दी उसके मुताबिक प्रति 100 ग्राम में विटामिन ए (बीटा कैरोटीन) की मात्रा 0.42 ग्राम और कुल कैरोटीनॉयड की मात्रा 0. 53 ग्राम रही। इससे कालानमक धान (चावल) की ब्रांड वैल्यू में एक और इजाफा हुआ है ।
देश और दुनिया को शान्ति एवं अहिंसा का संदेश देने वाले भगवान बुद्ध के प्रसाद के रूप में सिख कालानमक चावल खुश्बू, स्वाद और पोषक तत्त्वों के मामले में पहले से ही बेमिसाल था। खुश्बू ऐसी जिससे खेत-खलिहान से लेकर किचन तक महक उठे। तथागत का यह प्रसाद सिर्फ खुश्बू में ही बेमिसाल नहीं है। इसकी अन्य खूबियां इसे धान की बाकी प्रजातियों से बहुत आगे रखती हैं। मसलन इसमें बाकी चावलों की तुलना में जिंक और ऑयरन की मात्रा अधिक है। ग्लाइसिमिक इंडेक्स कम होने के नाते मधुमेह के रोगियों के लिए भी मुफीद है। एक चावल में इतनी खूबियों की वजह से डबल इंजन (योगी-मोदी) की सरकार भी इसकी मुरीद है।
प्रदेश और केंद्र का ओडीओपी उत्पाद है कालानमक
चूंकि यह पूर्वांचल की फसल है, इसलिए स्वाभाविक रूप से योगीजी मुख्यमंत्री बनने के पहले से इसकी खूबियों से परिचित थे। यही वजह है कि उन्होंने जनवरी 2018 में उत्तर प्रदेश की स्थापना दिवस पर एक जिला-एक उत्पाद /वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) के नाम से जिस बेहद महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की उसमें कालानमक को सिद्धार्थनगर जिले का ओडीओपी घोषित किया।
करीब दर्जन भर जिलों के लिए कालानमक में मिली है जीआई
कालानमक भले ही सिद्धार्थनगर का ओडीओपी हो, पर इसको जीआई (जिओग्राफिकल इंडिकेशन) पूर्वांचल के गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, बहराईच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर जिलों के लिए मिला है। मसलन समान कृषि जलवायु वाले इन जिलों में पैदा होने वाले कालानमक की खूबियां (सुंगध, स्वाद और पौष्टिकता) एक जैसी होगी।
इतने जिलों के लिए जीआई होने के नाते कालानमक और इसके उत्पादन में जुड़े लाखों किसानों की तरक्की की संभावनाएं बहुत बढ़ जाती हैं। इसकी वजहें भी हैं।
कालानमक पूर्वांचल के हर किसी के लिए जाना-पहचाना नाम है। पूर्वांचल देश का सबसे सघन आबादी वाला इलाका है। प्राचीनकाल से खेतीबाड़ी यहां के लोगों के रोजी-रोटी का मुख्य जरिया रहा है। जमीन पर जरूरत से अधिक भार होने के नाते बहुत पहले से यहां के लाखों लोंग रोजी-रोटी की तलाश में देश के ही प्रमुख शहरों में नहीं, विदेशों में जाकर बस गए। परदेशी होकर भी जिन चीजों को वह नहीं भूले उसमें कालानमक भी है। हर किसी को कालानमक चाहिए। शर्त यह है कि इसकी शुद्धता की गारंटी हो। इनमें से बहुत से लोग तो ऐसे हैं जिनको कालानमक की शुद्धता के प्रति भरोसा हो तो उनके लिए इसकी कीमत कोई खास मायने नहीं रखती।
मुख्यमंत्री की ओडीओपी योजना के साथ केंद्र सरकार कालानमक की मुरीद है। पिछले केंद्रीय बजट के दौरान संसद में इसकी चर्चा भी हुई थी। केंद्र की मंशा तो हर महत्वपूर्ण विभाग का ओडीओपी घोषित करने की है। कृषि और बागवानी फसलों की तो हो भी चुकी है। इस क्रम में करीब सालभर पहले देशभर के कृषि उत्पादों की घोषणा की थी। इसमें कालानमक को छह जिलों गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, महराजगंज और बलरामपुर का ओडीओपी घोषित किया गया। डबल इंजन की सरकार ने कालानमक को ओडीओपी में शामिल कर इसकी जबरदस्त ब्रांडिंग की। नतीजतन इस साल इसकी बम्पर पैदावार हुई है।